दूसरे दिन भी नहीं आया नामांकन
नीमच।तमाम अटकलों के बाद अंततः निर्वाचन आयोग द्वारा मध्यप्रदेश में लगभग ढाई साल बाद कराए जा रहे नगरीय निकायों के चुनावों में नगर सरकार के गठन को लेकर पिछले चुनावों की अपेक्षा इन चुनावों में उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है इसी के चलते 11 जून शनिवार से शुरू हुई नाम निर्देशन पत्र की प्रक्रिया के दूसरे कार्य दिवस पर 13 जून सोमवार को भी निर्वाचन कार्यालय में कोई नामांकन नहीं पहुँचा अर्थात नामांकन पत्र दाखिल करने का श्रीगणेश भी नहीं हुआ।राजनीतिक दलों से लेकर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों और यहाँ तक की आम मतदाताओं में भी जोश,उत्साह और उमंग का अभाव साफ साफ देखा जा सकता है क्योंकि कोरोना महामारी एवं मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनावों में गठित कमलनाथ के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार के तख्ता पलट तथा शिवराजसिंह चौहान की प्रदेश भाजपा की सरकार वापसी के बाद हुए घटनाक्रमों से अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछले दो-ढाई सालों से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एवं नगरीय निकायों के चुनावों को येनकेन प्रकार से टालने की कोशिशें जारी थी लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने तमाम अटकलों पर विराम लगाकर चुनाव आयोग और प्रदेश सरकार को चुनाव सम्पन्न कराने के लिए बाध्य कर दिया बस फिर क्या था माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आखिरकार निर्वाचन आयोग को त्रिस्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम घोषित करने पड़े।उल्लेखनीय है कि निर्वाचित परिषद/पालिका का कार्यकाल जनवरी 2020 में पूरा हो गया था और दिसम्बर 2019 में ही नई परिषद के गठन हेतु चुनाव होने थे लेकिन कभी सत्ता परिवर्तन तो कभी कोविड 19 तो कभी आरक्षण के दांवपेंचों में फँसने के कारण समय पर चुनाव नहीं हो सके और इसके बाद बदली हुई परिस्थितियों में 2022 में होने जा रहे चुनावों के प्रति इतना जोश,उमंग और उत्साह फिलहाल तो परिदृश्य से गायब ही दिखाई दे रहा है।उत्साह या मर्जी हो या न हो लेकिन इससे परे अब यदि चुनाव सिर पर आ ही पड़े हैं तो राजनीतिक दलों और नेताओं को अपने अपने अस्तित्व की लड़ाई तो आखिर लड़नी ही पड़ेगी और इसी मजबूरी के कारण यहाँ के दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से उम्मीदवारी को लेकर आवेदन पत्र लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।इधर घोषित कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के नाम निर्देशन की प्रक्रिया 11 जून शनिवार से शुरू हो गई जो 18 जून शनिवार तक रहेगी और इसी अवधि में भाजपा और कांग्रेस को अपने अपने प्रत्याशी भी घोषित करने हैं वहीं आमआदमी पार्टी पर भी निगाहें टिकी हुई है कि इसकी क्या योजना व क्या रणनीति होगी।नाम निर्देशन नहीं होने के पीछे की एक वजह राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशी घोषित नहीं करना जबकि दूसरी वजह आवश्यक दस्तावेज जुटाने की कार्यवाही करना बताई जा रही है।फिलहाल तो राजनीतिक दलों को ऐसे चेहरों की तलाश है जिन्हें मतदाता अपना जनप्रतिनिधि चुने।