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जिला चिकित्सालय में संसाधनों ओर चिकित्सको की कमी के बाद भी मरीजो को मिल रहा बेहतर उपचार, 3 दिन में आए गंभीर डिलेवरी केस में डॉ धाकड़ ने बेहतर उपचार देकर बचाई जच्चा बच्चा की जान          

नीमच। हमेशा से सुर्खियों में रहने वाला नीमच जिला चिकित्सालय जहां साधन संसाधनों और चिकित्सकों की कमी के चलते आए दिन मरीज परेशान होते नजर आते हैं वहीं इन दिनों चिकित्सकों की खासी कमी के चलते महज कुछ चिकित्सक ही जिला चिकित्सालय में उपचार देकर मरीजों की जान बचाने का कार्य कर रहे है। जानकारी के अनुसार नीमच जिला चिकित्सालय के मेटरनिटी वार्ड में 6 चिकित्सकों की आवश्यकता है परंतु मात्र एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लाड धाकड़ यहां सेवा दे रही है इनके अतिरिक्त सप्ताह में 1 दिन जावद से चिकित्सक अपनी सेवा देने आते है, इसी प्रकार 6 मेडिकल ऑफिसर के स्थान पर मात्र तीन ही मेडिकल ऑफिसर यहां अपनी सेवाएं देकर मरीजों को उपचार दे रहे हैं विगत 3 दिनों में नीमच जिला चिकित्सालय के मेटरनिटी वार्ड में नीमच जिले से तीन गर्भवती महिलाएं काफी गंभीर अवस्था में रेफर की गई थी जिनकी स्थिति प्राथमिक उपचार देकर उदयपुर रेफर करने जैसी नहीं थी यदि उन महिलाओं को उदयपुर रेफर किया जाता तो जच्चा या बच्चा की जान जा सकती थी ऐसे में जिला चिकित्सालय के मेटरनिटी वार्ड में सेवा दे रही डॉ लाड धाकड़ ने हाई रिस्क ऑपरेशन कर जच्चा और बच्चा की जान बचाई। उपरोक्त मामले में जब डॉ लाड धाकड़ से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि विगत दिनों मैं नीमच जिला चिकित्सालय के मेटरनिटी वार्ड में तीन गंभीर मामले आए हैं जिनमें संसाधन और चिकित्सकों की कमी के बावजूद स्टाफ के साथ मिलकर हाई रिस्क ऑपरेशन करते हुए जच्चा और बच्चा की जान बचाई है यह मामला मेडिकल कॉलेज लेवल के थे परंतु मरीज की स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें रेफर भी नहीं किया जा सकता था यदि उन्हें रेफर किया जाता तो जच्चा या बच्चा की जान जा सकती थी इनमें से एक मामला काफी गंभीर अवस्था में मनासा से रेफर किया गया था जिसमें मनासा के आतरी माता के समीप स्थित गांव से रमा कुंवर पति दशरथ को नीमच रेफर किया गया था गर्भवती महिला की बच्चेदानी फट चुकी थी और पेट में काफी खून एकत्रित हो गया था हमारे पास रेफर का समय नहीं था यदि उपचार में थोड़ी भी देर की जाती तो किसी की भी जान जा सकती थी महिला का हाई रिस्क ऑपरेशन पर महिला को बेहतर उपचार दिया गया और जच्चा और बच्चा की जान बचाई गई फिलहाल दोनों का जिला चिकित्सालय में उपचार चल रहा है इस ऑपरेशन में महिला को चलते ऑपरेशन के दौरान दो यूनिट खून की व्यवस्था भी हमें करनी पड़ी इसी प्रकार मनासा से रेखा पति जयंत शर्मा का मामला भी रेफर किया गया था जिसमें महिला के गर्भ में ही बच्चा उल्टा हो गया था और महिला का बीपी भी काफी हाई हो गया था जिसे भी बेहतर उपचार देखकर जच्चा बच्चा की जान बचाई गई,ऐसे ही जीरन से भी एक मामला आया था इसमें गर्भवती महिला का 4 डिग्री पेरिनियल टियर था जिसे भी यहां बेहतर उपचार दिया गया है। यह बात सही है कि नीमच जिला चिकित्सालय में साधन संसाधन और चिकित्सकों की कमी है जिसे अस्पताल प्रशासन पूरा करने में लगा है परंतु जो चिकित्सक यहां मौजूद है वह मरीज को बेहतर से बेहतर उपचार देकर उसकी जान बचाने का प्रयास निरंतर करते हैं। उक्त मामले में रमा कुमारी के पति दशरथ कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी पत्नी रमा कुमार को वह डिलीवरी के लिए मनासा शासकीय अस्पताल ले गया था जहां से चिकित्सकों ने उपचार में देरी कर उसे नीमच रेफर किया गया यहां आकर पता चला कि उसकी पत्नी की बच्चादानी फट चुकी है और उनके पास उदयपुर जाने तक का समय भी नहीं बचा था ऐसे में ड्यूटी पर मौजूद महिला चिकित्सक डॉक्टर लाड़ धाकड़ ने ऑपरेशन की सलाह देकर पत्नी रमा कुवर और बच्चे की जान बचाई है जिसके लिए परिजनों ने चिकित्सक का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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