सिंगोली(निखिल रजनाती)।शिक्षा विभाग में इन दिनों जबरन लागू की जा रही ऑनलाइन उपस्थिति पूरी तरह से विसंगतिपूर्ण है।मप्र में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्तमान में ऑनलाइन ई-अटेंडेस के माध्यम से विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति संस्था प्रधान द्वारा मोबाईल के माध्यम से दर्ज करने के निर्देश जारी किये हैं जबकि उक्त प्रक्रिया के लिये संसाधन उपलब्ध करवाने विषयक कोई व्यवस्था नहीं करवाई गई।केवल शिक्षक के व्यक्तिगत मोबाईल से अपेक्षा रखकर किसी योजना को क्रियान्वित करना और उससे शत प्रतिशत परिणाम की अपेक्षा करना कहीं भी सही प्रतीत नहीं होता है साथ ही यदि किसी विद्यालय में एक ही शिक्षक हो और किसी परिस्थिति के कारण वह अवकाश पर चला जाये तो उक्त दिनों में उपस्थिति कैसे ऑनलाइन होगी?क्या प्रत्येक विद्यालय में नेटवर्क सदैव क्रियाशील रहता हैं ?ऐसी कई बातों पर किसी प्रकार के चिंतन व समाधान किये बिना ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी ऑनलाइन उपस्थिति पर इस प्रकार से आमदा हैं जैसे विद्यालय में सब कुछ बिना संसाधनों के ही संभव हो सकता है और यदि ऑनलाइन उपस्थिति इतनी ही आवश्यक है तो फिर यह केवल शिक्षा विभाग में ही नहीं बल्कि प्रत्येक विभाग में प्रमुखता से शुरु करनी चाहिए।उक्त बातें बताते हुए आजाद अध्यापक संघ प्रदेश महासचिव विनोद राठोर ने बताया कि मप्र में विभाग के आला अफसर शिक्षकों के हितों के निराकरण व आदेशों के क्रियान्वयन में फिसड्डी साबित होते हैं लेकिन शिक्षकों के ऊपर किसी योजना के क्रियान्वयन का आदेश इतनी तीव्रता से करते हैं जैसे पंख लगे हों।आजाद अध्यापक संघ म.प्र.द्वारा म. प्र. शासन व विभाग के आला अधिकारियों से माँग की है कि शिक्षकों को सबसे पहले ऑनलाइन कार्यों के क्रियान्वन के लिये सिस्टम उपलब्ध करवाने पर प्रयास करें साथ ही शिक्षकों के हितों से संबधित लम्बित माँगों का निराकरण करके फिर भले ही शिक्षक को अपनी योजनाओं मे घोडा़ बनाकर जोतते रहें।