नीमच। अफीम संबंधी विसंगतियां दूर करने की मांग को लेकर सोमवार को संयुक्त अफीम किसान मोर्चा द्वारा जिला अफीम अधिकारी और कलेक्टर प्रतिनिधि नायाब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।जिसमें बताया गया कि भारत सरकार के केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अफीम किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है एवं उनके उचित प्रतिनिधियों से बातचीत ना कर अन्य लोगों से बातचीत कर तमाम नीतियों का निर्धारण किया गया है जिससे अफीम की खेती कर रहे किसानों को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही भारत सरकार द्वारा अफीम के क्षेत्र में नई नीति सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती कर रहे किसान संतुष्ट नहीं है दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि वर्ष 1997 और वर्ष 1998 में काटे गए अफीम किसानों के पट्टो की बहाली की जाए, साथ ही अफीम की खेती करने के लिए इच्छुक नए किसानों को अफीम खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किए जाएं। सीपीएस पद्धति पर पुनः विचार किया जाए। इसे समाप्त किया जाए।चिराई लुआई से अफीम पैदा कर रहे उन सभी किसानों को अफीम का अंतरराष्ट्रीय मूल्य दिया जाए और डोडा चूरा 2 हजार प्रति किलोग्राम का मूल्य किसानों को दिया जाए। अफीम पॉलिसी का निर्धारण नेता और अधिकारियों से नहीं संयुक्त अफीम किसान मोर्चा किसान प्रतिनिधियों की सहमति व सहभागिता के साथ बनाई जाए। अफीम एक औषधि उत्पादन है जिसको निजी कंपनी के हाथों में जाने से हर हाल में रोका जाए। अफीम प्रोसेसिंग कार्य के लिए सरकार सरकारी क्षेत्र में नई अफीम फैक्ट्री नीमच और चित्तौड़गढ़ में स्थापित कर अंचल के लिए रोजगार पैदा करें। उपरोक्त मांगों के निराकरण को लेकर संयुक्त अफीम किसान मोर्चा के इक्कीस सदस्य पदाधिकारी मंडल से अविलंब चर्चा कर अफीम नीति 2023 और 24 का निर्धारण किया जाए।