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मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ पनप रहा है गहरा आक्रोश

भाजपा की वापसी में कर्मचारी बनेंगे सबसे बड़ा रोड़ा 

सिंगोली(निखिल रजनाती)। इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जहाँ एक ओर पड़ौसी राज्य राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व की सरकार राज्य के सरकारी कर्मचारियों को खुश करने में लगी हुई है वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान की भाजपा सरकार चुनावी वर्ष के बावजूद भी कर्मचारियों की नाराजगी मोल लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और इसी के चलते अब मध्यप्रदेश के कर्मचारी भी चुनाव का ही इंतजार कर रहे हैं ताकि सरकारी कर्मचारियों का शोषण करने वाली भाजपा सरकार को जमकर सबक सिखा सके।मध्यप्रदेश में चुनाव जीतने और सरकार में वापसी के लिए भाजपा भले कितने ही पापड़ बेल रही है लेकिन राज्य के कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग की नाराजगी भाजपा सरकार के लिए चुनौती देते हुए दिखाई दे रही है क्योंकि मध्यप्रदेश में एक लम्बे अर्से से यहाँ कर्मचारियों का शोषण भाजपा के लिए गले की हड्डी साबित हो सकता है जबकि पड़ौसी प्रान्त में सरकारी कर्मचारियों को खुश करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है जबकि मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ दिनोंदिन आक्रोश पनप रहा है जिसे देखकर लगता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की वैतरणी कैसे पार होगी।प्रदेश के मुख्यमंत्री सिर्फ लाड़ली बहना योजना के सहारे प्रदेश के आधे(महिला)मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करके इस योजना को मास्टर स्ट्रोक समझकर पुनः मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनाने की उम्मीद जता रहे हैं जबकि लाखों कर्मचारी और पेंशनर चुनाव में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से इनका जमकर शोषण किया जा रहा है।केवल महँगाई भत्ते की ही बात करें तो केंद्र सरकार सहित कई राज्यों में वहाँ के सरकारी कारिंदों को जनवरी 2023 से 42 प्रतिशत महँगाई भत्ता मिल रहा है जबकि इनकी तुलना में मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को 4 प्रतिशत कम दिया जा रहा है वहीं पेंशनरों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है क्योंकि वे अभी भी केंद्र सरकार व राजस्थान सहित अन्य राज्यों की तुलना में बहुत पीछे छोड़ दिए गए हैं जिसके चलते यहाँ के पेंशनरों को हर महीने हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है जबकि अपनी माँगों को लेकर प्रदेश में आए दिन कर्मचारियों द्वारा ज्ञापन,धरना प्रदर्शन और हड़तालें तक की गई लेकिन सरकार द्वारा इन्हें नजरअंदाज किया गया।सरकारी कर्मचारियों के मामले में सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक कांग्रेस के द्वारा चलाया जा रहा है जो वर्ष 2004 से भाजपा सरकार द्वारा बन्द की गई पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा कर रही है और इसका फायदा बीते दिनों हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में देख चुकी है इसी के चलते कांग्रेस के नेतृत्व की राज्य सरकारों ने पिछले साल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस कर्मचारियों से वादा कर रही है कि सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाएगी।पुरानी पेंशन के मुद्दे पर जिस तरह हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में कर्मचारियों ने कांग्रेस के पक्ष में एक तरफा मतदान किया है अब ठीक वैसी ही परिस्थितियाँ मध्यप्रदेश में भी दिखाई देने वाली है क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग को नाराज करके सत्ता प्राप्त नहीं कर सकता है यह बीते चुनावों में स्पष्ट हो गया है और अब मध्यप्रदेश की बारी है जिसमें कर्मचारी शोषणकारी सरकार से छुटकारा पाने का इंतजार कर रहे हैं।इस प्रकार कर्मचारियों की नाराजगी कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी के लिए संजीवनी साबित होती हुई दिखाई दे रही है।

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