नीमच। जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह राठौड़ भाटखेड़ा ने केंद्रीय वित्त मंत्री से अफीम फसल वर्ष 2023 - 24 के लिए आने वाली नई अफीम नीति के पहले अफीम तथा सीपीएस पद्धति के तहत लिए जाने वाले डोडों के खरीद मूल्यों में अविलम्ब पाँच गुना से अधिक वृद्धि करने की मांग की है । राठौड़ ने यह सुझाव भी दिया है कि , सीपीएस पद्धति अनुपयोगी होने से बंद की जाए अथवा इस पद्धति के तहत किसानों को अधिक आरी क्षेत्र के पट्टे जारी किए जाएं ।उल्लेखनीय है कि, अफीम फसल वर्ष 2023 - 24 के लिए नई अफीम नीति निर्धारण की प्रक्रिया के अंतर्गत केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा , नारकोटिक्स विभाग की अफीम उत्पादक राज्य इकाइयों के माध्यम से निर्वाचित जन प्रतिनिधियों , अग्रणी किसानों और कृषि विशेषज्ञों से सुझाव संग्रहित किये जा रहे हैं । इस संदर्भ में मध्यप्रदेश नारकोटिक्स मुख्यालय नीमच में 27 जून को बैठक आहूत की गई है ।
नीमच जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह भाटखेड़ा ने इस संदर्भ में मध्यप्रदेश के डिप्टी नारकोटिक्स कमिश्नर डॉ. संजय कुमार को केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम दिए गए सुझाव पत्र में कहा कि , अफीम और डोडों का खरीद मूल्य यद्यपि अफ़ीम नीति का विषय नहीं है लेकिन अफ़ीम उत्पादन तथा किसानों के लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण है , इसीलिए समय रहते इस पर चर्चा जरूरी है अफ़ीम फसल वर्ष 2014 - 15 के बाद से अभी तक आठ वर्षों में अफ़ीम के खरीद मूल्यों में सरकार ने एक धेले की भी वृद्धि नहीं की है । इस बारे में खुद सरकार द्वारा नियुक्त मूल्य पुनर्निर्धारण समिति भी वर्ष 2016 में ही दामों में 85 प्रतिशत से अधिक की तत्काल वृद्धि हेतु सिफारिश कर चुकी है । इस अनुशंसा के बाद सात सालों में कोई राशि सरकार द्वारा नही बढ़ाई गई है ।दूसरी ओर , खाद , बीज , मजदूरी , सिंचाई , देखभाल , सुरक्षा और अन्य संदर्भित सभी ख़र्च कई - कई गुना बढ़ गए है और किसानों के लिए अफ़ीम खेती नुकसान तथा परेशानी का कारण बन गई है । श्री राठौड़ ने कहा कि किसानों के हितों का दावा करने वाली भाजपा सरकार को अब इस विषय में गम्भीरता से निर्णय करते हुए नई अफ़ीम नीति की घोषणा से पहले ही अफ़ीम के वर्तमान प्रचलित खरीद मूल्यों में पांच गुना से अधिक वृद्धि करना चाहिए इसी प्रकार सीपीएस पद्धति के अंतर्गत बिना चीरा लगे डोडों का मूल्य सरकार मात्र 200 रु. प्रति किलो दे रही है जो अनुचित एवं अपर्याप्त है । इस प्रक्रिया के तहत डोडों पर चीरा नहीं लगने से पोस्ता दाना कम आता है औऱ किसान को नुकसान उठाना पड़ रहा है । इस तथ्य पर गौर करते हुए सरकार को डोडों का मूल्य इसी सीजन से 1500 रु. प्रति किलो घोषित कर न्याय करना चाहिए।भारतीय परिस्थियों और तकनीक के अभाव में बिल्कुल अनुपयुक्त सिद्ध हो रही सीपीएस पद्धति को बंद कर सभी किसानों को परम्परागत खेती के लिए लायसेंस प्रदान किया जाए । अगर सरकार सीपीएस को अपरिहार्य मान कर जारी ही रखना चाहती है तो सीपीएस श्रेणी के किसानों को 25 से 50 आरी के लायसेंस दिए जाने चाहिये ।अधिक आरी में अफ़ीम काश्त करने से किसानों को अधिक मात्रा में पोस्ता दाना मिलेगा और किसानों के लिए अफ़ीम की खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में मदद मिलेगी।इससे अधिक क्षेत्र और नियमित किसान होने से सरकार को भी नियंत्रण में मदद मिलेगी । सीपीएस पद्धति के विस्तार की भावी योजना के लिहाज से भी यह कदम उपयोगी सिद्ध हो सकता है।सुझाव पत्र में यह भी कहा गया है कि , वर्ष 1997 - 98 से वर्ष 2023 तक नीतिगत प्रावधानों के कारण जिन - जिन किसानों के पट्टे कट गए थे और अभी तक नियमों की विसंगतियों तथा जटिलता के कारण उनके पट्टे बहाल नहीं हो पाए है ऐसे सभी वंचितों के प्रति उदारता बरतते हुए वर्ष 2023 - 24 के लिए घोषित होने वाली नीति के तहत सभी के लायसेंस बहाल कर देना चाहिए।लायसेंस वितरण और नामान्तरण की प्रक्रिया के सरलीकरण करने और अफ़ीम नीति 15 सितंबर तक घोषित करने का भी सुझाव दिया है ।