जावद में दिग्विजय की अनुशंसा पर मिलेगा कांग्रेस का टिकट
सिंगोली(निखिल रजनाती)। इस साल के अंत में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है जिसके चलते भाजपा और कांग्रेस ने अपनी रणनीति बनाने का काम तेज कर दिया है।बात करें मालवांचल की तो मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में मालवा क्षेत्र के दो संभागों इंदौर और उज्जैन की महती भूमिका होती है जो वर्तमान में भी दिखाई दे रही है इसमें कांग्रेस बहुत पीछे है लेकिन इस साल होने जा रहे चुनावों में मालवांचल में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अपने आप को तैयार कर लिया है और बीते चुनावों में इस क्षेत्र की लगातार हार रही विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह को जिम्मेदारी सौंपे जाने की खबरें आ रही है और इस पर विश्वास किया जाये तो इन सीटों पर चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार से लेकर मुद्दों और प्रचार करने तक सभी प्रकार की रणनीति दिग्विजयसिंह की ही रहने वाली है जिसके तहत ऐसी सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार किसे बनाया जाएगा यह भी खुद दिग्विजय ही तय करेंगे जिससे कयास लगाये जा रहे हैं कि नीमच जिले की लगातार 4 बार चुनाव हार चुकी जावद विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय की अनुशंसा पर ही घोषित किया जाना है।वैसे तो कांग्रेस का उम्मीदवार बनने के लिए कई दावेदार दिखाई दे रहे हैं जिनमें फिलहाल जावद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से उम्मीदवारी को लेकर पार्टी उम्मीदवार के रूप में 2 चुनाव हार चुके राजकुमार अहीर और जावद जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण पाटीदार के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं लेकिन पार्टी किसको अपना उम्मीदवार घोषित करेगी यह तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है फिर भी लगभग यह तो निश्चित तौर पर माना जा रहा है कि बगैर दिग्विजय की सहमति के उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा।ऐसा माना जाता है कि 2003 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर बाकी 3 चुनावों में जावद विधानसभा में तगड़ी गुटबाजी के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा यह बात पार्टी के वरिष्ठ नेता भी जानते हैं इसलिए इस बार होने वाले चुनाव में कांग्रेस आपसी गुटबाजी से परे रहकर चुनावी मैदान में उतरना चाह रही है लेकिन स्थानीय नेताओं की महत्वाकांक्षा आड़े आ रही है जिससे उबरना एक बड़ी चुनौती है और इससे पार पाने के प्रयास भी जारी हैं।बात टिकट मिलने की करें तो विधानसभा चुनाव में टिकट प्राप्त करने के लिए राजकुमार अहीर और सत्यनारायण पाटीदार दोनों ही आशान्वित दिखाई दे रहे हैं क्योंकि अहीर को पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से सीधे जुड़ा हुआ माना जाता है जिसका फायदा मिल सकता है वहीं सत्यनारायण पाटीदार भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह से जुड़े हुए माने जाते हैं जिसका लाभ इन्हें मिल सकता है।प्रदेश में जावद जैसी 66 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस की वापसी की जिम्मेदारी दिग्विजय के कंधों पर समझी जा रही है और बताया जा रहा है कि इन 66 सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए दिग्विजय को कमलनाथ की तरफ से भी फ्रीहेण्ड मिल गया है क्योंकि इन 66 सीटों पर कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है।ऐसे हालातों में टिकट बंटवारे का मुकाबला भी काफी दिलचस्प होता दिखाई पड़ रहा है।कांग्रेस में भले ही ऐसी स्थिति है लेकिन इसके विपरीत भाजपा में वर्तमान विधायक और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा के सामने टिकट के लिए फिलहाल तो कोई दावेदार इनके विकल्प के रूप में नहीं दिखाई दे रहा है जिससे लग रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो पिछले 4 चुनाव जीत चुके ओमप्रकाश सखलेचा ही 5 वीं बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।हाँलांकि कयासों का दौर जारी है और इसमें भाजपा की ओर से भी उम्मीदवार को लेकर बदलाव हो जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योंकि अंदरखाने की मानें तो इस बार श्री सखलेचा का चुनावी क्षेत्र बदल भी सकता है और उन्हें जावद के बजाय नीमच विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है यदि ऐसा होता है तो जावद से सखलेचा के स्थान पर किसी नए चेहरे को मौका मिल सकता है जो भी होगा आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट होने की सम्भावना जताई जा रही है।