सिंगोली के राजस्व कार्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला
सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली के राजस्व कार्यालय में भ्रष्टाचार का इतना बोलबाला है कि राजस्वकर्मियों और भू माफिया की साँठगाँठ से सिंगोली में उपपंजीयक कार्यालय होने के बाद भी जिला मुख्यालय नीमच जाकर ऐसी फर्जी रजिस्ट्रियाँ करवाए जाने का मामला सामने आया है जिसमें न तो मौके पर जमीन है और न ही विक्रेता को भूमि क्रय करने के बदले दी जाने वाली रकम की अदायगी की गई और तो और सबसे बड़ी बात यह है कि रजिस्टर्ड कराए गए विक्रय पत्रों में न केवल गलत चतुरसीमा दर्शायी गई बल्कि रकबे से ज्यादा भूमि की रजिस्ट्रियाँ करवा दी गई जिसमें शहरी क्षेत्र की जमीन के विक्रय पत्र में फोटो भी जंगल के अन्य जगह के संलग्न किये गए।असल भूमि स्वामी को जब इस बात की जानकारी मिली तो उस गरीब पीड़ित ने उक्त फर्जी रजिस्ट्रियों को निरस्त कराने के लिए अब न्यायालय की शरण ली है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक ऐसी एक नहीं बल्कि दो रजिस्ट्रियाँ करवाई गई है।उक्त दोनों फर्जी रजिस्ट्रियों को निरस्त कराने के लिए पीड़ित सिंगोली निवासी सोहनीबाई पति स्व. पूरणमल नाई (72 वर्ष)एवं ओमप्रकाश पिता स्व. पूरणमल (55 वर्ष) ने न्यायालय रवि वर्मा द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड जावद के समक्ष वाद दायर कर मप्र शासन द्वारा कलेक्टर नीमच सहित कुल 6 लोगों को प्रतिवादीगण बनाया गया है जिनमें से पहले दो प्रतिवादी अजीतकुमार पिता पारसमल लसोड़ निवासी ग्राम कास्या तहसील मांडलगढ़ जिला भीलवाड़ा एवं सुचिता पिता नन्दकिशोर पति प्रवीण जैन निवासी वार्ड नं 09 चन्द्रशेखर आजाद मार्ग सिंगोली क्रेतागण हैं जबकि प्रतिवादी क्रमांक 3 अशोककुमार पिता नाथूलाल जैन दस्तावेज लेखक एवं सर्विस प्रोवाइडर निवासी वार्ड नं 09 चन्द्रशेखर आजाद मार्ग सिंगोली है जबकि विक्रेतागण के रूप में प्रतिवादी क्रमांक 4 मायाबाई पति शोभाराम पुत्री भंवरलाल नाई निवासी लुहारिया चुंडावत तहसील सिंगोली व प्रतिवादी क्रमांक 5 प्यारीबाई पति रामचन्द्र पिता मूलचंद नाई निवासी ग्राम पटियाल तहसील सिंगोली है।उक्त दोनों रजिस्ट्रियाँ क्रमशः ई पंजीयन क्रमांक एमपी 279462022 ए 1047361 दिनाँक 14/01/2022 को विक्रेता मायाबाई द्वारा क्रेता अजीतकुमार एवं ई पंजीयन क्रमांक एमपी 279462022 ए 1589739 दिनाँक 03/06/2022 को विक्रेता प्यारीबाई-मूलचंद द्वारा क्रेता सुचिता जैन-नन्दकिशोर के पक्ष में कराई गई थी जिन्हें फर्जी बताकर वादीगण द्वारा न्यायालय में दायर किए गए वाद में बताया कि प्रतिवादी क्रमांक 1 से लगायत 3 ने प्रतिवादी क्रमांक 4 और 5 से साँठगाँठ करके दोनों विक्रय पत्र अवैध रूप से बिना प्रतिफल के व अस्तित्वहीन भूमि की गलत चतुरसीमा लिखकर निष्पादित करवाए।न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए वाद में बताया गया कि अवैध लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से उक्त विक्रय पत्रों में मनमाना रकबा एवं मनमानी चतुरसीमा व मनमानी कीमत अंकित की गई।प्रतिवादी क्रमांक 4 भूमि सर्वे नम्बर 428/1 रकबा 0.046 के 1/3 भाग की स्वामी नहीं थी फिर भी साँठगाँठ करके असत्य रकबे का उल्लेख किया गया।इसी तरह कथित विक्रय सम्पत्ति की चतुरसीमा भी गलत उल्लेखित की गई जबकि भूमि सर्वे नम्बर 428 की उत्तर दिशा में नीमच-कोटा रोड़ जिसका सर्वे नम्बर 435 है जबकि जानबूझकर विक्रय पत्र में धोगवां-ताल रोड़ गलत रूप से उल्लेखित किया गया।इसी प्रकार सर्वे नम्बर 428 की दक्षिण दिशा में सर्वे नम्बर 430 एवं 434 है।रजिस्टर्ड विक्रय पत्र दिनाँक 14/01/2022 में वर्णित कथित चतुरसीमा वाली सम्पत्ति का मौके पर कोई अस्तित्व है ही नहीं और न ही क्रेता प्रतिवादी अजीतकुमार ने उक्त सम्पत्ति का मौके पर आधिपत्य प्राप्त किया क्योंकि मौके पर जब कोई सम्पत्ति स्थित ही नहीं है तो आधिपत्य प्राप्त करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।न्यायालय में दायर किये गए वाद में यह भी बताया गया कि विक्रय पत्र में सर्वे नम्बर 428 की विक्रय की गई भूमि को सिंचित भूमि दर्शाया गया जबकि भूमि सर्वे नम्बर 428 एवं उसके आसपास व्यवसायिक दुकानें और शोरूम बने हुए हैं।इस प्रकार जानकारी होते हुए भी विक्रय पत्र में जानबूझकर उक्त भूमि को सिंचित कृषि भूमि बताया गया है जो न केवल भादवि के तहत दण्डनीय अपराध है बल्कि भारतीय स्टाम्प एक्ट के प्रावधानों एवं रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपराध है और वैसे भी विक्रय पत्र दिनाँक 03/06/2022 में वर्णित सम्पत्ति का मौके पर कोई अस्तित्व ही नहीं है।कपोल कल्पित अस्तित्व विहीन भूमि का विक्रय अन्य व्यक्तियों को ब्लैकमेल करने एवं अवैध राशि वसूलने के लिए फर्जी रूप से विक्रय पत्र निष्पादित करवाया है।न्यायालय के समक्ष इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं कि सिंगोली में उपपंजीयक कार्यालय कार्यरत होते हुए भी लगभग 90 किमी दूर स्थित जिला मुख्यालय नीमच जाकर उक्त विक्रय पत्र पंजीयन करवाने की आवश्यकता क्यों हो गई ? प्रतिवादीगणों ने साँठगाँठ कर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज वादीगण के स्वत्वों को नुकसान पहुँचाए जाने की दूषनीयत से निष्पादित करवाए गए।प्रस्तुत वाद में यह भी बताया गया कि विधि के सुस्थापित सिद्धांत के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने स्वत्वों से अधिक भूमि/सम्पत्ति विक्रय करने का वैधानिक अधिकारी नहीं है।जब विक्रेता को विक्रय पत्र में उल्लेखित रकबे वाली भूमि के कोई स्वत्व हित अधिकार है ही नहीं तब क्रेता को भी कोई स्वत्व हक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।न्यायालय के समक्ष यह भी बताया गया है कि राजस्व कर्मचारी एवं अधिकारियों से साँठगाँठ करके वादीगण को सूचना दिए बगैर अवैध व अनाधिकृत रूप से शासकीय भू अभिलेखों में नामांतरण भी दर्ज करवाया है।इस सम्बंध में वादीगण पुलिस थाना सिंगोली में भी रिपोर्ट दर्ज करवाने गए थे लेकिन पुलिस का कहना था कि जमीन जायदाद का दीवानी मामला है इसलिए कोर्ट में कार्यवाही करो जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय श्रीमान व्यवहार न्यायाधीश महोदय कनिष्ठ खण्ड जावद के समक्ष उक्त दोनों फर्जी रजिस्ट्रियाँ निरस्त कराने के लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।उक्त प्रकरण वर्तमान में न्यायालय में प्रचलित होकर सुनवाई जारी है।सूत्र बताते हैं कि ऐसे और भी कई मामले हैं जिनका जल्द ही खुलासा किया जाएगा जिनमें भ्रष्ट राजस्वकर्मी भी संलिप्त हैं।