सिंगोली(माधवीराजे)।मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन अवकाश में कटौती करना शिक्षकों के साथ अन्याय है।उक्त जानकारी देते हुए शिक्षक सुरेश यादव (इंदौर)ने बताया कि पूरे प्रदेश में हव्वा है कि शिक्षकों को बहुत ज्यादा अवकाश मिलते है।यह न सिर्फ हव्वा है सरकारें भी मानती हैं कि शिक्षक विश्राम अवकाश कैडर है,इसी वजह से शिक्षकों और क्लासरूम टीचिंग में लगे अन्य कैडर को 2008 से वार्षिक अर्जित अवकाश,अवकाश लेखा में दर्ज करना बंद कर दिया गया है।शिक्षकों को अब सिर्फ अवकाश के समय काम करने पर अर्जित अवकाश प्राप्त होते हैं वह भी सिर्फ विभागीय मुखिया (आयुक्त) और कलेक्टर के आदेश पर काम करने पर।विश्राम अवकाश की असलियत यह है कि शिक्षकों को 2024-25 में ग्रीष्मकालीन 30,दशहरा 3,दीपावली 6,शीतकालीन 5 दिवस मिलाकर कुल 44 दिवस अवकाश मिलेंगे।इसके उलट प्रदेश में 2021 से 5 कार्य दिवस सिस्टम लागू है,इस प्रकार प्रदेश के कार्यालयों में कार्यरत संवर्ग को 52 से 54 शनिवार का अवकाश मिलता है और वे विश्राम अवकाश कैडर में शामिल नहीं हैं इसलिए उनके 30 दिवस का वार्षिक अर्जित अवकाश,अवकाश लेखा में दर्ज होता है।राजपत्रित अवकाश और स्थानीय अवकाश का लाभ अवकाश कैडर और गैर अवकाश कैडर को समान रूप से मिलता है।आज की स्थिति में प्रदेश में शैक्षणिक कैडर और गैर शैक्षणिक कैडर के अवकाश की संख्या समान है लेकिन अर्जित अवकाश प्रदान करने में शासन द्वारा भेदभाव किया जा रहा है जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता है,यही नहीं शिक्षकों को वार्षिक अर्जित अवकाश न देना ग्रीष्म अवकाश में कटौती करना शिक्षकों के साथ असमानता व अमानवीय व्यवहार होकर अन्याय का प्रतीक है।श्री यादव ने शिक्षकों के सभी संगठनों से आग्रह किया है कि या तो शिक्षकों पुनःअर्जित अवकाश प्रदान किया जाये अथवा 60 दिवस के ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रदान किये जायें इस हेतु गंभीरता से प्रयास करें।