जलसंकट निवारण के लिए जिम्मेदार भी नहीं हैं गम्भीर
सिंगोली(माधवीराजे)।पिछले कई दिनों से सिंगोली कस्बे में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था गड़बड़ा गई है जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं नगर परिषद के 4 वार्ड जिनमें 5 दिनों से पेयजल आपूर्ति नहीं होने से लोगों की परेशानी बढ़ रही है लेकिन जिम्मेदार पेयजल संकट के निवारण हेतु गम्भीर नहीं दिखाई दे रहे हैं।उल्लेखनीय है कि बीते साल बारिश कम होने से जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है वहीं वर्तमान में चालू जलस्त्रोत भी अब जवाब देने लगे हैं ऐसे हालातों में तो भीषण गर्मी में क्या स्थिति निर्मित हो रही है इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।वर्तमान में कस्बे के वार्ड नं.05,09,10 एवं 11 में बीते दो महीनों से पेयजल आपूर्ति डगमगाई हुई है वहीं यहाँ के जनप्रतिनिधियों ने तो जैसे मौन व्रत धारण कर लिया है।ऐसे हालातों में पेयजल आपूर्ति से परेशान लोगों ने अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं करने और जनता की तकलीफों को गम्भीरता से नहीं लिए जाने पर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से अपनी कुर्सी छोड़ने की माँग तक कर डाली है अर्थात जनसमस्याओं के निराकरण में असफल रहने से इस्तीफा देने का आग्रह कर दिया है।इन वार्डों में जल आपूर्ति करने वाले जलस्रोत सूख जाने के कारण यहाँ रहने वाले लोगों को पेयजल समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने भी नगर परिषद अध्यक्ष सुरेश जैन एवं मुख्य नपा अधिकारी गिरीश शर्मा से पेयजल संकट का निवारण करने के लिए उचित कदम उठाए जाने का आग्रह किया वहीं जानकर सूत्रों ने बताया कि मामले में नगर परिषद द्वारा न केवल जिला प्रशासन के आदेश की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है बल्कि पेयजल की समस्या से त्रस्त आमजनता की परेशानी को भी अनदेखा किया जा रहा है जिससे लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।जब तक नगर परिषद द्वारा नवीन नलकूप खनन नहीं कराया जाएगा अथवा मध्यप्रदेश की सीमा से होकर राजस्थान के भैंसरोडगढ़ से चित्तौड़गढ़ तक जाने वाली बड़ी पाईपलाइन की तर्ज पर चम्बल नदी का पानी सिंगोली को नहीं मिलेगा तब तक नगर के सभी वार्डों में जल आपूर्ति की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता है जबकि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पेयजल परिवहन तो किया जा सकता है लेकिन वह भी ऊँट के मुँह में जीरा साबित हो रहा है वहीं कुछ वार्डों में जलापूर्ति करने वाले कर्मचारियों पर अंकुश नहीं होने के कारण वे जलापूर्ति में पक्षपात कर रहे हैं।जनहित में उच्च अधिकारियों को हस्तक्षेप कर नियमित रूप से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करवाई जानी चाहिए।