मामला सिंगोली के सरकारी स्कूल के अतिक्रमण का
सिंगोली(संवाददाता)।कहने,सुनने और पढ़ने में अजीब सा लगता है लेकिन सच्चाई यही है कि सिंगोली कस्बे में आज से 6-7 दशक पहले एक पीढ़ी द्वारा दान से एकत्रित किए गए रुपयों से स्कूल के लिए खरीदी गई जमीन को उन्हीं परिवारों की तीसरी और चौथी पीढ़ी की नीयत खराब हो जाने की वजह से नाजायज रूप से अवैध अतिक्रमण कर स्कूल की सरकारी जमीन को हड़पने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें स्थानीय राजस्व महकमे की संदिग्ध भूमिका और दलालों की मिलीभगत भी दिखाई दे रही है जिसके चलते सिंगोली कस्बे की असहाय महसूस कर रही आम जनता भी अपनी ही विरासत की रक्षा करने में असमर्थ साबित होती हुई प्रतीत हो रही है।उल्लेखनीय है कि इन दिनों जमीनों के आसमान छूते हुए भावों को देखते हुए जमीनों को लेकर बिगड़ती नीयत के कारण अब लोगों का जमीर भी मरता हुआ दिखाई दे रहा है वहीं स्कूल के कुछ कर्मचारी भले ही स्कूल हित में लड़ रहे हैं जिन्हें रूपयों के प्रलोभन से बात नहीं बनने की वजह से धमकियाँ भी दी जा रही है लेकिन शर्म की बात है कि स्कूल की जमीन की सुरक्षा के लिए कोई भी गम्भीर नहीं दिखाई देता है जिसके चलते भूमाफिया के हौंसले बुलंद हो रहे हैं और स्थानीय प्रशासन को तो नेताओं के भेष में घूम रहे दलालों की चापलूसी एवं चाटूकारिता से ही फुर्सत नहीं है और भ्र्ष्टकर्मचारी ऐसे लोगों की छत्रछाया में स्वयं को बहुत सुरक्षित महसूस करते हुए पेट भरने के लिए वेतन तो सरकार से लेते हैं लेकिन पूरी निष्ठा और वफादारी से काम भूमाफिया के लिए कर रहे हैं जिसके चलते कई बार की गई शिकायतों के बाद भी जिम्मेदारों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।सरकारी स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतों के बावजूद जिला प्रशासन को लगातार गुमराह किया गया ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त राजस्वकर्मी के कारनामों पर पर्दा पड़ा रहे लेकिन यहाँ यह गौरतलब है कि इस सरकारी स्कूल को जमीन सरकार ने नहीं दी बल्कि 60 के दशक में सिंगोली के हर घर से चन्दे से रूपये इकट्ठा करके एक उद्योगपति से स्कूल के लिए खरीदी गई थी जिसका पंजीयन तत्कालीन श्री शिक्षा समिति के नाम पर किया गया था जो राजस्व विभाग के पुराने मूल दस्तावेजों में दर्ज है लेकिन राजस्व महकमे के ही भ्र्ष्ट कर्मचारियों द्वारा जमीन का उचित और वास्तविक सीमांकन नहीं किया गया है जिससे आजतक भी स्कूल की जमीन पर से अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका जबकि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कई जगहों पर बुल्डोजर चलाए जा चुके हैं लेकिन सिंगोली में तो सरकारी जमीनों को लेकर स्थानीय प्रशासन मध्यप्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा के विपरीत भूमाफिया का संरक्षक बना हुआ है।उल्लेखनीय है कि अब स्कूल का चयन सीएम राइज के रूप में हो गया है तो मुख्यमंत्री की इस महत्वाकाँक्षी योजना से जुड़ा मुद्दा उच्च स्तर तक पहुँचकर जिले की बदनामी का कारण बने इससे पहले ही प्रशासन को अपनी इस गलती को सुधार लेना चाहिए क्योंकि जनवरी माह में ही सीएम राइज स्कूल योजना के लिए काम कर रही एक राज्य स्तरीय एजेन्सी द्वारा सिंगोली के इस स्कूल का दौरा करके स्कूल की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत करवाया गया था जिसका हवाला देकर नीमच कलेक्टर ने भी कार्यवाही के आदेश जारी किए थे लेकिन 4 महीने बीतने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका जबकि जिले में ही एक अन्य जगह मनासा के सीएम राइज स्कूल की भूमि पर भी अतिक्रमण की शिकायत थी और इसका निराकरण करते हुए मनासा में अतिक्रमण हटा दिया गया लेकिन सिंगोली में अतिक्रमण आखिर क्यों नहीं हटाया जा रहा है यह सवाल बार बार पूछ रही है सिंगोली की जनता।