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आईएएस द्वारा जारी स्थगन आदेश की उड़ रही है धज्जियाँ


सरकारी जमीनों पर हो रहे हैं पक्के निर्माण 

          
सिंगोली।सिंगोली कस्बे में इन दिनों राजस्व विभाग की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर खुलेआम अवैध रूप से पक्के निर्माण किए जा रहे हैं जिनकी शिकायत करने के बाद भी शासन हित व सार्वजनिक हित में कार्यवाही नहीं कर अतिक्रमणकर्ता को सरंक्षण दिए जाने से सिंगोली के राजस्व विभाग की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजस्व विभाग के वरिष्ठ एवं उच्च अधिकारियों द्वारा शिकायतों के सम्बंध में पड़ताल करने पर स्थानीय कार्यालय द्वारा वास्तविक स्थिति और तथ्यों पर पर्दा डालते हुए असत्य व भ्रामक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है जबकि सिंगोली कस्बे में इन दिनों चारों दिशाओं में राजस्व विभाग की खुली पड़ी सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से पक्का निर्माण कराए जाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है और यहाँ तक कि प्रभारी तहसीलदार सिंगोली के रूप में आईएस हिमांशु जैन द्वारा जारी किए गए स्थगन आदेश की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।मामला सिंगोली-तिलस्वां सड़क मार्ग के किनारे स्थित सर्वे नम्बर 70 में स्थित जमीन से जुड़ा हुआ है जिसमें सरकारी भूमि भी शामिल है पर न्यायालय तहसीलदार तहसील सिंगोली जिला नीमच के पत्र क्रमांक 7213/री-1/2021 दिनाँक 15 /09/2021को मध्यप्रदेश शासन विरुद्ध कौशल्याबाई एवं अन्य के मामले में जारी किए गए स्थगन आदेश में स्पष्ट किया कि कस्बा सिंगोली तहसील सिंगोली की विवादित भूमि सर्वे क्रमांक 70 व इसकी समस्त पैकियाँ के सम्बन्ध में मौके पर विवाद की स्थिति होकर उक्त भूमि का सीमांकन किया जाना है इस हेतु उक्त विवादित भूमि सर्वे क्र.70 व उसकी समस्त पैकियों पर जब तक सीमांकन कार्य पूर्ण नहीं हो जाता है तब तक समस्त निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाती है एवं प्रश्नाधीन भूमि से सम्बंधित समस्त पक्षकार किसी प्रकार से कोई निर्माण कार्य न करें न ही किसी अन्य के माध्यम से करवायें।इस स्थगन आदेश की एक प्रति राजस्व निरीक्षक और मौजा पटवारी सिंगोली को भेजकर निर्देशित किया है कि उपरोक्त भूमि पर निर्माण कार्य किए जाने पर तत्काल मौके पर जाकर निर्माण कार्य रुकवाया जावे व नियमानुसार कार्यवाही की जाकर समक्ष में प्रस्तुत करें।बावजूद इसके पक्का निर्माण अवैध रूप से स्थानीय राजस्व विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों की देखरेख में धड़ल्ले से हो रहा है जिसमें लाखों रुपए के लेनदेन की चर्चा का बाजार गर्म है।जानकर सूत्रों का दावा तो यह भी है कि अतिक्रमणकर्ताओं को नाजायज लाभ पहुँचाने के लिए राजस्व-रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़ कर अपनी सुविधानुसार प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि पुराने मूल भू-अभिलेखों और राजस्व-निरीक्षक के नक्शों में कहीं भी ऐसे भूमि-स्वामी दर्ज नहीं है जिन्हें भू-स्वामी साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।सार्वजनिक हित में कलेक्टर मयंक अग्रवाल द्वारा मामले की गम्भीरता समझते हुए सिंगोली कस्बे का राजस्व रिकॉर्ड जब्त कर निष्पक्ष जाँच कराई जानी चाहिए जिससे सरकारी जमीनें सुरक्षित रह सकें और अवैध पक्के निर्माणों पर रोक लगे।

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