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बाहरी हस्तक्षेप से मतदाताओं में पनप रही है नाराजगी

वार्ड के लोगों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

सिंगोली।नगरीय निकाय चुनावों को लेकर सिंगोली में अब धीरे धीरे ही सही लेकिन चुनावी राजनीति की रफ्तार तेज होती दिखाई दे रही है जिसके चलते नगर परिषद के 15 वार्डों के लगभग सभी प्रत्याशियों ने जहाँ एक ओर अपने आप को खुद के चुनावी वार्ड तक सीमित कर लिया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रत्याशियों की तरह ही अब मतदाता भी चाहते हैं कि पूरा चुनाव भी वार्ड के इर्दगिर्द ही रहे और इसीलिए मतदाताओं की भावनाएँ भी अब उजागर होती जा रही है जिसमें प्रमुख रूप से जो बातें उभर कर आ रही हैं उसके मुताबिक कुछ प्रत्याशियों की चुनावी बागडोर बाहरी लोगों ने थाम रखी है जिससे वार्ड के मतदाताओं में बाहरी हस्तक्षेप को लेकर प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी पनप रही है क्योंकि मतदाताओं का कहना है कि जिस वार्ड में मतदाता के रूप में प्रत्याशी के भाग्य का फैसला हम करेंगे उस वार्ड के प्रत्याशी वार्ड के अपने ही मतदाताओं को नजरअंदाज करने का अतिआत्मविश्वासी दाँव खेल रहे हैं जो कहीं खुद के लिए भारी न पड़ जाए और तो और मामला तब ज्यादा गम्भीर दिखाई पड़ने लगता है जब वार्ड के बाहरी व्यक्ति ही नहीं बल्कि बाहर गाँव के लोग भी इन चुनावों में अपना व्यावसायिक हित तक साधने में सफल हो रहे हैं और वार्ड के मतदाता चुनाव से सम्बन्धित व्यवसाय के लिए आस लगाए हुए बैठे हैं लेकिन उन्हें चुनावी कामकाज न सौंपकर उसे उसके रोजगार से वंचित करके यदि किसी ओर बाहरी व्यक्ति से काम  करवाया जाएगा तो फिर भला मतदाता क्यों किसी प्रत्याशी के लिए सहानुभूति रखेंगे।इस प्रकार चुनावी मौसम में काम और रोजगार की तलाश में टकटकी लगाए बैठे लोगों को भी निराशाजनक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है जिसके चलते ऐसे व्यवसायियों में भी नेताओं और प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी पनप रही है जबकि मतदान से पहले ही प्रत्याशी ने तो अपना नजरिया बता ही दिया कि उसे आपकी जरूरत नहीं है ऐसे हालातों में चुनावी वार्ड के अपने ही मतदाताओं को व्यावसायिक रूप या व्यवहारिक रूप से साधने में असफल रहने वाले प्रत्याशियों का अधिक भरोसा शायद वार्ड के अपने मतदाताओं की अपेक्षा उन 2-4 बाहर के लोगों पर ज्यादा टिका हुआ है तो क्या वे वार्ड के मतदाताओं के बगैर ही उनकी चुनावी वैतरणी पार करवा देंगे जबकि ऐसे लोग तो मतदाता भी नहीं है तो फिर मिल गई चुनाव में सफलता ? कुल मिलाकर चुनावी मैदान में संघर्ष कर रहे उम्मीदवार अपने वार्ड के मतदाताओं के बगैर समर्थन के कैसे चुनाव में जीत हासिल कर सकेंगे जबकि अभी से प्रत्याशियों पर मतदाता अपनी उपेक्षा करने का आरोप लगाने लगे हैं।

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