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मामा जी धिक्कार है, 22 साल से केंद्र में सरकार हैं,

दिव्यांग पुनर्वास केंद्र ना बना सके, वो सरकार बेकार है

नीमच। ऊपर लिखे शीर्षक से हमारा कोई सरोकार नहीं है, यह तो उस पीड़ित मानव की अभिव्यक्ति हैं, जो पिछले 22 सालो से अपनी वाजिब मांग शासन-प्रशासन के सामने रखता आया हैं। लेकिन उसकी वाजिब मांग पूरी नहीं हो पाई। मजबूरन उसे कलेक्ट्रेट चौराहे पर इस तरह का बैनर टांग कर विरोध करना पड़ रहा है। इससे यह तो जाहिर हैं कि सरकार के प्रति कुछ वर्गों में नाराजगी हैं। इस पर भी हैरानी वाली बात यह हैं कि पिछले दो दिन से यह बैनर प्रशानिक अधिकारियो की नाक के नीचे टंगा हैं। लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में क्या ही दिव्यांगो की मांगो पर ध्यान दिया होगा. यह बैनर अपने आप में काफ़ी कुछ बयां कर रहा हैं।

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