धड़ल्ले से हो रहे हैं सरकारी जमीनों के पंजीयन
सिंगोली(निखिल रजनाती)।एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सख्त चेतावनी के बाद हरकत में आए ईमानदार अधिकारियों के नेतृत्व में विभिन्न स्थानों पर सरकारी जमीनों पर किए गए अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाकर म.प्र.शासन की करोड़ों रुपए की सरकारी भूमि माफिया के चंगुल से मुक्त कराई जा रही है वहीं जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर स्थित सिंगोली तहसील में भ्रष्टाचार किस तरह से फल फूल रहा है इसके मामले एक के बाद एक लगातार उजागर हो रहे हैं जिनमें संदिग्ध पटवारी और राजस्व निरीक्षक की मिलीभगत से सिंगोली में हो रहा है सरकारी जमीनों का घोटाला एवं इसके साथ ही सरकारी जमीनों के धड़ल्ले से पंजीयन भी हो रहे हैं तो दूसरी तरफ ईमानदारी एवं विभागीय निष्ठा को अपनी कार्यशैली बना रहे तहसीलदार देवेन्द्र कछावा द्वारा सरकारी जमीनों को बचाने के लिए सन्देहास्पद व विवादित नामांतरण खारिज किए जाने की कार्यवाही की जा रही है और अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है जिससे सरकारी जमीनों को बेचने का व्यापार करने वाले लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।अभी हाल ही एक मामला सामने आया है जो भू सर्वे नम्बर 70 से सम्बन्धित बताया जा रहा है जहाँ लगभग 10 बीघा सरकारी जमीन रिकॉर्ड में दर्ज है जबकि मौके पर एक ईंच भी सरकारी जमीन रिक्त नहीं है इसी में सरकारी जमीन की रजिस्ट्री का घोटाला उजागर हुआ है जिसमें कस्बे के राजस्व विभाग की मध्यप्रदेश सरकार की जमीन की रजिस्ट्री का मामला स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा को धता बताते हुए न केवल शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करवाये गए बल्कि अपने संरक्षण में कतिपय भ्रष्ट राजस्वकर्मियों ने सरकारी जमीन को निजी बताने का अमलीजामा भी पहना दिया जिसमें पूर्व में सिंगोली में रहे एक तथाकथित बहुचर्चित सिंगोली कस्बा पटवारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ताओं ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर शिकायत की परन्तु मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।उक्त सम्बन्ध में शिकायतकर्ताओं ने तत्कालीन बहुचर्चित कस्बा पटवारी पर सिंगोली कस्बे की राजस्व विभाग की सरकारी जमीनों में दस्तावेजी कूटरचना कर अवैध रूप से कब्जा दर्शाया जाकर निर्माण कराए जाने के गम्भीर आरोप भी लगाए हैं।गौरतलब है कि जिन भूमियों के गलत तरीके से पंजीयन कराए गए और निर्माण भी किए गए हैं वे वास्तविक स्वरूप में सरकारी जमीनें हैं जो पूर्णतः म.प्र.शासन की है।वर्तमान में मौके पर अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा रास्ते की खुली पड़ी शासकीय भूमि की भी रजिस्ट्री करवा दी गई है और जाँच करने पर साबित भी हो चुकी है कि रजिस्ट्रेशन सरकारी जमीन का किया गया है लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण भ्रष्ट कर्मचारियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं और वे मिलीभगत से सरकारी जमीनों का भी पंजीयन कराने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि नियमानुसार भूमि के पंजीयन के लिए खाता,खसरा की नकल के साथ ही पटवारी रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाती है वहीं पंजीयन कार्यालय भी पंजीयन करने से पहले सम्बन्धित भूमि का मौका मुआयना कर पुष्टि करने के बाद ही पंजीयन करता है लेकिन सरकारी जमीनों के पंजीकरण के मामलों में नियमों की पूरी तरह से धज्जियाँ उड़ाई गई और देखते ही देखते भ्रष्टाचार के चलते कई लोग सरकारी जमीनों के मालिक बन बैठे जो पूरे राजस्व महकमे सहित समूचे प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि सिंगोली में ऐसा एक सर्वे नम्बर 70 ही नहीं बल्कि और भी कई सर्वे नम्बरों में सम्बन्धित भ्रष्ट पटवारी और राजस्व निरीक्षक की मिलीभगत से लाखों रुपए खर्च करके भू माफिया से जुड़े कुछ लोगों ने आबादी क्षैत्र से लगी करोड़ों की जमीनों पर कब्जा जमा लिया है।