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नीमच कृषि उपज मंडी का तौलकाँटा भी भ्रष्टाचार के घेरे में

उपज तुलवाने में किसानों पर पड़ रही है दोहरी मार

सिंगोली(माधवीराजे)।नीमच की कृषि उपज मंडी में एक बड़ा तौलकाँटा लगा हुआ है जो किसानों की उपज का तौल करने के लिए लगाया गया है लेकिन मंडी में लगे इस तौलकाँटे पर किसानों की उपज नहीं तुलवाई जाती है बल्कि व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर स्वयं के वाहन से उपज ले जाकर व्यापारियों के तौल काँटे पर उपज तुलवानी पड़ती है।क्या यह व्यवस्था मंडी सचिव और व्यापारियों की साँठगाँठ के बिना सम्भव है ? इस तरह कृषि उपज मंडी में लगा तौल काँटा भी भ्रष्टाचार के घेरे में है क्योंकि अपनी उपज तुलवाने के लिए किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।इस तरह की कई घटनाओं के शिकार सिंगोली तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसान हो चुके हैं जो अब नीमच मंडी में जाना तो बहुत दूर की बात,शोषित और पीड़ित किसान नीमच मंडी का नाम तक लेना पसंद नहीं करते हैं।मंडी में तौलकाँटा होने के बाद भी मंडी के तौलकाँटे पर तौल नहीं होना तौलकाँटा कांट्रेक्टर का इस अनैतिक भ्रष्टाचार व्यवस्था में शामिल होना दर्शाता है।नवनिर्मित कृषि उपज मंडी डूंगलावदा में भी विगत दो वर्षों से सिर्फ गेहूँ की मंडी शिफ्ट हो पाई है और उसमें भी भ्रष्टाचार वाला कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।प्रदेश की सभी मंडियों में किसानों को अपनी उपज स्वेच्छा से ढ़ेर करने अथवा अपने साधन में अपनी उपज नीलाम करवाने का हक प्राप्त है लेकिन नीमच मंडी (उसमें भी सिर्फ गेहूँ) ही एक मात्र ऐसी उपज है जिसे कोई भी किसान न तो ढ़ेर करके बेच सकता है और न ही किसान स्वयं के साधन से नीलामी उपरांत मंडी में तौल करवा सकता है।हमेशा इस बारे में मंडी सचिव से चर्चा करने पर कोई न कोई बहाना बनाना जैसे कि हम्मालों व टेम्पो वालों की कमी तो कभी मंडी सम्बंधित व्यापारियों को दी जाने वाली सुविधाओं से सम्बंधित व्यवस्था की कमी तो कभी क्या तो कभी क्या हमेशा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले बयानों के अलावा कुछ नहीं मिलता है वहीं किसान संघ के नेताओं की तो बात ही क्या करना,ऐसा लगता है जैसे वे सिर्फ आँख मूँदकर अपनी जेबें गरम करने के लिए ही पद पर बैठे हुए हैं।ऐसे हालातों में जनप्रतिनिधियों व आला अधिकारियों द्वारा जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब नीमचवासियों की अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ मानी जाने वाली नीमच की कृषि उपज मंडी बहुत जल्द रसातल में जाते हुए दिखाई पड़ेगी इसलिए नीमच जिला कलेक्टर और भाजपा शासित किसानों की सरकार के वर्तमान में चौथी बार नीमच के विधायक बने दिलीपसिंह परिहार द्वारा नीमच मंडी में इस तरह गम्भीर पैठ जमा चुकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया तो किसान और लोकतंत्र दोनों का ही नीमच से नाता टूट जाएगा और इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा नीमचवासियों को ही क्योंकि बाहर का कोई किसान अपनी उपज बेचने के लिए नीमच की मंडी में आता है तो रुपये-पैसे खर्च करके दो पैसे की आमदनी वह नीमचवासियों को ही देकर जाता है।नीमच मंडी में आ रहे बाहर के किसान ही दो पैसों की कमाई हम्मालों,ठेले वालों,चाय वालों,किराना दुकानदारों,फल विक्रेताओं,नाश्ते की दुकानों,कचौरी-चाट वालों,होटल व्यवसायियों,जनरल स्टोर वालों सहित अन्य प्रकार की सामग्री बेचने वाले व्यापारियों को देकर जाता है और मंडी में पनप रहे ऐसे हालातों में कोई भी बाहरी किसान अपना शोषण करवाने के लिए नीमच की मंडी में क्यों आएगा इसलिए समय रहते हुए मंडी में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ ही अव्यवस्थाओं में सुधार करना अतिआवश्यक है वरना इसके फल सबको भोगना पड़ेंगे।

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