सिंगोली में हो रहा है करोड़ों की सरकारी जमीनों का घोटाला
सिंगोली(माधवीराजे)।इन दिनों मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार द्वारा अवैध कॉलोनियों के सम्बंध में घोषित की गई नई नीति एक ओर जहाँ कालोनाइजरों के गले की फाँस बनती हुई दिखाई दे रही है वहीं दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन के लिए भी सिंगोली की अवैध कॉलोनियाँ किसी अग्नि परीक्षा के समान ही साबित होती हुई प्रतीत होगी क्योंकि सिंगोली कस्बे में आसमान छूते जमीनों की कीमतों के कारण यहाँ खुली पड़ी राजस्व विभाग की सरकारी जमीन पर भी लोगों ने अवैध रूप से कब्जा जमाते हुए स्थानीय राजस्व महकमे की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अवैध कॉलोनियाँ का निर्माण कर लाखों रुपये में भूखण्ड बेचे जा रहे हैं जहाँ बगैर लायसेंस के कॉलोनाइजरों ने पक्की सड़कों का निर्माण भी करवा दिया है जिससे आसपास के कृषि भूमि स्वामी खाताधारकों का हित प्रभावित हो रहा है इसी कारण किए गए नुकसान को लेकर कई बार पीड़ित आवेदकों ने तहसीलदार सिंगोली के समक्ष प्रस्तुत किए गए शिकायती पत्र में इसका खुलासा करते हुए मामले में कार्यवाही करने की माँग की है लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त स्थानीय प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से निकलना ही नहीं चाहता है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिंगोली के भू सर्वे नम्बर 70 के शासकीय रकबे की भूमि पर भूमाफिया द्वारा अवैध रूप से कब्जा जमाकर राजस्व महकमे के कर्मचारियों की मिलीभगत से मध्यप्रदेश शासन की सरकारी जमीनों को भूखण्ड काटकर बेचने का काम किया जा रहा है जिस पर शासन हित में पाबन्दी लगाई जानी चाहिए।उक्त कॉलोनियों से पीड़ित लोगों ने समय-समय पर प्रस्तुत किये गए आवेदन पत्रों में शासकीय सर्वे नम्बर 70 में पंजीयन पर रोक लगाने की माँग करते हुए बताया कि इस सर्वे में स्थित सरकारी जमीन पर फर्जी कॉलोनाइजरों द्वारा बिना नक्शे,बिना तरमीम अवैध कॉलोनी काटी जा रही है जिस पर तत्काल रोक लगाई जाए।सूत्र बताते हैं कि सिंगोली कस्बे के भू सर्वे नम्बर 70 को कई भागों में बाँटकर बगैर किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति से पैकियाँ दर्शाते हुए मनमाने तरीके से सरकारी अभिलेखों और नक्शे में राजस्वकर्मियों द्वारा मनमाफिक व सुविधाजनक छेड़छाड़ कर लोगों को सरकारी जमीनों के मालिक बनाकर करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीनों को बेचने का गौरखधंधा खूब फल फूल रहा है वहीं स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के कारण ऐसे भूखण्डों की रजिस्ट्रियां भी धड़ल्ले से हो रही है।इस तरह से सिंगोली में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीनों का घोटाला किया जा रहा है जिसके चलते कस्बे के किसी भी सर्वे नम्बर की सरकारी जमीन सुरक्षित नहीं है और करोड़ों की शासकीय भूमि माफिया के अवैध कब्जे में है।सिंगोली क्षैत्र में सरकारी जमीनों का घोटाला करने के जनक माने जाने वाले तथाकथित कुछ भ्रष्ट राजस्वकर्मियों के कारनामों के कारण समूचे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं जो विभाग प्रमुख के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।बहरहाल रुपये-पैसे के दम पर सरकारी जमीनों को हड़पने का काम बदस्तूर जारी है।खासतौर पर यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सिंगोली में जिन व्यक्तियों द्वारा कॉलोनियाँ काटकर भू खण्ड बेचे जा रहे इनमें से किसी के भी पास कालोनाइजर का लाइसेंस नहीं है और राजस्वकर्मियों से साँठगाँठ करके लाखों रुपए लेकर सरकारी जमीनों को ठिकाने लगाने का काम बदस्तूर जारी है।अब अवैध कॉलोनियाँ के सम्बंध में मध्यप्रदेश सरकार ने भी अपनी नई नीति घोषित कर दी है जिसके तहत कालोनाइजरों पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और खाली पड़ी जमीन को प्रशासन अपने कब्जे में करेगा।सरकार की इस नीति से स्थानीय प्रशासन की भी परीक्षा होगी कि प्रशासन सरकार की नीति के अनुसार काम करेगा अथवा भू माफिया की कठपुतली बनकर ही काम करेगा क्योंकि सिंगोली शहर में ही कई अवैध कॉलोनियाँ विकसित कर दी गई है।