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क्या नई कृषि उपज मंडी में भी किसानों के उग्र प्रदर्शन के बाद जागेगा प्रशासन ?

नीमच(विशेष प्रतिनिधि)।नीमच की नवीन कृषि उपज मंडी भी पूरी तरह से अव्यवस्थाओं के घेरे में ही प्रतीत हो रही है तो क्या यहाँ व्याप्त हो रही अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए किसानों को उग्र प्रदर्शन करना पड़ेगा और उसके बाद ही जागेगा क्या प्रशासन ?प्राप्त जानकारी के मुताबिक नवीन कृषि उपज मंडी चंगेरा को चालू हुए लगभग दो साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी यहाँ मंडी प्रशासन द्वारा नियमों के विपरीत कार्य किया जा रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश की सभी कृषि उपज मण्डियों में किसानों को अपनी उपज का ढ़ेर करके नीलाम करने की व्यवस्था है लेकिन नीमच कृषि उपज मंडी ही प्रदेश की एक मात्र ऐसी मंडी है जहाँ मंडी प्रशासन द्वारा कोई न कोई बहाना बनाकर किसानों को अपनी उपज का ढ़ेर लगाकर नीलाम करने से वंचित किया जा रहा है।दूसरी बात यह है कि प्रदेश की सभी मण्डियों में किसानों की नीलाम की गई उपज को तुलवाने का काम भी मंडी परिसर में ही होता है लेकिन नीमच की कृषि उपज मंडी में बड़ा तौलकाँटा लगा हुआ होने के बावजूद भी किसानों की उपज यहाँ नहीं तौली जाती है बल्कि किसान को खुद को अपने साधन से ही क्रेता व्यापारी के गंतव्य स्थान तक ले जाकर अपनी उपज तुलवानी पड़ रही है जिससे इसमें होने वाला व्यय भी किसान को ही भुगतना पड़ रहा है जिसके चलते किसान का शोषण तो ज्यों का त्यों ही हो रहा है।पूर्व में किसान को पुरानी मंडी में अपनी उपज का ढ़ेर करके बेचने में किसान को खुद के साधन पर 1 हजार रुपए खर्च करना पड़ते थे लेकिन वर्तमान में इसी उपज को नवीन मंडी तक ले जाने के लिए किसान को खुद के साधन के 2 हजार रुपए खर्च आने लगा है।इस प्रकार से व्यर्थ के व्यय से जहाँ किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है वहीं किसान मानसिक तनाव के शिकार भी हो रहे हैं।उपरोक्त परिस्थितियों में किसानों को अपनी उपज मंडी तक लाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए किसान अपनी माँगों को लेकर किसी तरह का उग्र प्रदर्शन करें इससे पहले ही जिला प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप करके किसान हितैषी निर्णय लिये जाने चाहिए।

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