सिंगोली(माधवीराजे)। देशभक्ति और जनसेवा का कथन दीवारों की लिखावट पर ही सिमट कर रह गया है क्योंकि इन दिनों सिंगोली पुलिस की कार्यप्रणाली अपने वास्तविक उद्देश्यों से भटक कर पूरी तरह से व्यापारिक नीतियों में तब्दील हो गई है कि ऊपरी कमाई का ज्यादा से ज्यादा पैसा कहाँ से और कैसे मिले और इसी का नतीजा है कि मासिक बन्दी के चलते सिंगोली में खुलेआम चल रहा है सट्टा बाजार।नगर में खुलेआम और बेखौफ होकर चल रहे सट्टा बाजार के चलते कई युवा सहित बच्चे भी इस लत का शिकार हो रहे हैं लेकिन जानकारी के बावजूद यहाँ की पुलिस पूरी तरह से अनजान बनी हुई है वहीं सट्टा कारोबार संचालित करने वाले निडर होकर सुबह से लेकर देर रात तक इसी में लगे हुए रहते हैं क्योंकि मासिक बन्दी के चलते उन्हें पुलिस का संरक्षण जो मिल रहा है।चौक-चौराहे से लेकर सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले स्थानों पर सट्टा अंक लिखे जाने का कारोबार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है।जनचर्चा भी है और सूत्र भी बताते हैं कि पुलिस को मिलने वाली मासिक बन्दी के रुपये नीचे से लेकर ऊपर तक पहुँचाए जा रहे हैं जिसके कारण पुलिस और सट्टा कारोबारी का गठबंधन खूब फल-फूल रहा है।जानकर सूत्र बताते हैं कि एक दिन में ही सुबह से लेकर देर रात तक मधुर(डे-नाईट),मिलन(डे-नाइट),कल्याण और बम्बई सट्टा बाजार के लगभग 10 से 12 खेलों में लाखों रुपए के दाँव लगाए जा रहे हैं तो इसके साथ ही हाजरवल्ली और गब्बा नाम से भी जुए-सट्टे के दाँव खेले जा रहे हैं जिनमें तुरंत परिणाम मिल जाते है।जानकारी मिल रही है कि एक अंक पर एक रुपये के 9.50 रुपये,ओपन-क्लोज के अंक मिलाकर जो जोड़ी बनती है उस पर एक रुपये के 80 रुपये, जिन तीन अंकों को मिलाकर एक अंक बनता है सट्टेबाजी की भाषा में जिसे पत्ता कहा जाता है साधारण पत्ते पर एक रुपये के एवज में 120 रुपए,जुट पत्ते(एक ही अंक डबल होने पर) के 200 रुपये का भाव सट्टा बाजार में चल रहा है जिसके चलते कम समय और कम रुपये से ज्यादा रुपये कमाने के लालच में युवा और बच्चे सट्टे की लत का शिकार बन रहे हैं।सिंगोली नगर में इसी गति से सट्टा बाजार चलता रहा तो आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में अपराधिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी और इसकी जिम्मेदारी भी स्थानीय पुलिस की ही होगी इसलिए समय रहते पुलिस कप्तान को मामले में हस्तक्षेप करके सिंगोली नगर से सट्टा बाजार पूरी तरह से बन्द करवाया जाना चाहिए।